चैत्र
नवरात्र कल यानि 2 अप्रैल से शुरू हो रहा है हिन्दू धर्म में दुर्गा माँ का पूजा
नवरात्रि का बहुत महत्व माना जाता है इस दौरान दुर्गा माँ अपने 9 रूपों में उनकी पूजा
विधि विधान से की जाती है नवरात्रि के पहले दिन सभी लोग दुर्गा माँ का मंदिर को
सजाते है | नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री का होता है 9 रूपों में शैलपुत्री
का पहला रूप माँ दुर्गा का होता है | पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में पैदा होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा. ऐसे में पहले दिन मां शैलपुत्री की
पूजा की जाती है |
चैत्र नवरात्रि का पहला दिन और मुहूर्त
घटस्थापना
मुहूर्त - सुबह 06 बजकर 22 मिनट से 08 बजकर 31 मिनट तक
घटस्थापना
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
प्रतिपदा
तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 01,
2022 को सुबह 11 बजकर 53 मिनट से शुरू
प्रतिपदा
तिथि समाप्त - अप्रैल 02,
2022 को सुबह 11 बजकर 58 मिनट समाप्त
माँ शैलपुत्री की पूजा करने की विधि
1. नवरात्रि के पहले दिन एक लकड़ी की पटरे पर सफेद या लाल कपड़ा बिछाकर मां शैलपुत्री की मूर्ति रखें.
2. मां शैलपुत्री को सफेद रंग की चीजें
काफी प्रिय हैं, ऐसे में मां को सफेद रंग की चीजें
अर्पित करें
3. मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक
जलाएं और सफेद आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें
4. एक साबुत पान का पत्ता लें और उसमें 27
साबुत लौंग रखें.
5. इसके बाद ॐ शैलपुत्रये नमः मंत्र का
108 बार जाप करें.
6. मां के मंत्र का जाप करने के बाद लौंग
को कलावे से बांधकर माला बना लें. इस लौंग की माला को मां शैलपुत्री को अर्पित
करें.
7. मां को सफेद बर्फी का भोग लगा.
मां शैलपुत्री का मंत्र
ॐ
देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे
वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् यशस्विनीम्॥
स्तुति:
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै
नमो नम:॥
मां शैलपुत्री की आरती
शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो।
भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।।
जीवन
के समस्त कष्ट क्लेश और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग
सुपारी मिश्री रखकर मां शैलपुत्री को अर्पण करें. मां शैलपुत्री की आराधना से
मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और कन्याओं को उत्तम वर मिलता है. नवरात्रि के
प्रथम दिन उपासना में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं. शैलपुत्री
का पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है और अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती
है.